Tuesday, September 9, 2008

मकबूल फ़िदा हुसैन की धर्म निर्पेछ्ता !!

जनकर अत्यन्त हर्ष हुआ की हमारे आदरणीय सर्वोच्च न्यायलय ने मकबूल फ़िदा हुसैन के चित्रों पर रोक नही लगने दी । हमारे देश में फ्री स्पीच का अधिकार सभी को प्राप्त है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो, या किसी भी जाति का। इसी लिए गाँधी को सरेआम "शैतान की औलाद" कहने वाली नेत्री देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमन्त्री बन सकती है.
लेकिन मकबूल फ़िदा हुसैन की एक बात शायद मेरे देश के स्वयम्म्भु धर्म-निर्पेक्छ लोगों को भी शायद अच्छी ना लगे, और वो ये है की ये वही कलाकार है जिसने अपनी बनाई हुई एक फ़िल्म को सिर्फ़ इसलिए पूरे भारत से हटा लिया था, क्योंकि किसी मौलवी ने उनपर बस इतना आरोप लगाया था की उनकी फ़िल्म में कोई ऐसे शब्द प्रयोग हुए हैं, जो की कुरान में हैं, और इस बात से मुस्लिम भाइयों की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचेगी। और इस फ़िल्म को वापस लेने में उन्होंने कोई देरी नही की।
काश उन्होंने ऐसी ही क़द्र हिन्दुओं की धार्मिक भावना की भी की होती। लेकिन उन्होंने हिन्दुओं के विरोध के बावजूद ऐसा नही किया।
कहीं वो ऐसा तो नहीं सोंचते की हिन्दुओं की कोई धार्मिक भावना होती ही नहीं है, या वो इतनी मजबूत है की उस पर इन सब छोटी मोटी बातों का असर ही नहीं होता। मेरे ख्याल से वो सही ही सोंचते हैं नही तो मेरे देश के इतने विद्वान् लोग उनके साथ न होते।

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